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त्रिपुरा की ‘सहर्ष’ (Saharsh) पहल क्या है?

 


त्रिपुरा सरकार ने सामाजिक और भावनात्मक शिक्षा को प्रोत्साहित करने के प्रयास में ‘सहर्ष’ नामक एक विशेष शिक्षा कार्यक्रम शुरू किया है। यह पहल पिछले साल अगस्त में राज्य के 40 स्कूलों में पायलट आधार पर शुरू की गई थी और जनवरी 2023 से इसे राज्य के सभी सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में लागू किया जाएगा। इस कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों को खुशी के साथ सीखने और सहानुभूतिपूर्ण विकास में योगदान देने के लिए सशक्त बनाना है।


सामाजिक और भावनात्मक शिक्षा क्या है?


सामाजिक और भावनात्मक शिक्षा (social and emotional learning – SEL) वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से बच्चे और वयस्क भावनाओं को समझने और प्रबंधित करने, सकारात्मक लक्ष्यों को निर्धारित करने और प्राप्त करने, दूसरों के लिए सहानुभूति महसूस करने और दिखाने, सकारात्मक संबंध स्थापित करने और बनाए रखने और जिम्मेदार निर्णय लेने के लिए आवश्यक कौशल सीखते हैं। छात्रों के लिए स्कूल और जीवन में सफल होने के लिए SEL महत्वपूर्ण है। ‘सहर्ष’ पहल को छात्रों को इन कौशलों को विकसित करने और पूर्ण, लचीला व्यक्ति बनने में मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।


कार्यक्रम की प्रभावशीलता


‘सहर्ष’ पहल इसी तरह के कार्यक्रम पर आधारित है जिसे हार्वर्ड और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के शोध अध्ययनों में सामाजिक और आर्थिक विकास में प्रभावी पाया गया था। त्रिपुरा में इसे लागू करने से पहले इस कार्यक्रम को भारत की स्थानीय वास्तविकताओं के साथ जोड़ा जा रहा है। राज्य सरकार 204 स्कूलों को सहर्ष पाठ्यक्रम के लिए प्रशिक्षित कर चुकी है जबकि 200 और स्कूलों को जल्द ही प्रशिक्षित किया जाएगा। त्रिपुरा के विभिन्न जिलों के तीस सहायक प्रधानाध्यापकों को भी सहर्ष कार्यान्वयन दूत के रूप में काम करने के लिए चुना गया था।


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