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छत्तीसगढ़ में 76% आरक्षण विधेयक पास, ST के लिए 32 तो OBC का 27 फीसदी कोटा तय

छत्तीसगढ़ में 76% आरक्षण विधेयक पास, ST के लिए 32 तो OBC का 27 फीसदी कोटा तय


अनुसूचित जनजाति के लिए 32 फीसदी, अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27 फीसदी, अनुसूचित जाति के लिए 13 फीसदी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए चार फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया गया है. विधानसभा में विधेयक पारित होने के बाद राज्य में कुल आरक्षण 76 प्रतिशत हो गया है |

छत्तीसगढ़ में 76% आरक्षण विधेयक पास, ST के लिए 32 तो OBC का 27 फीसदी कोटा तय

छत्तीसगढ़ विधानसभा में आखिरकार आरक्षण विधेयक सर्व सम्मति से शुक्रवार को पारित हो गया. जिसके तहत अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए 32 फीसदी, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 27 फीसदी, अनुसूचित जाति (एससी) के लिए 13 फीसदी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 4 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया गया है. विधानसभा में विधेयक पारित होने के बाद राज्य में कुल आरक्षण 76 प्रतिशत हो गया है. विधेयक पारित होने के बाद सीएम भूपेश बघेल ने भी बधाई दी है |

आपको बता दें कि राज्य में आरक्षण का मुद्दा तब उठा, जब छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने गत सितंबर महीने में साल 2012 में जारी राज्य सरकार के सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए आरक्षण को 58 प्रतिशत तक बढ़ाने के आदेश को खारिज कर दिया. साथ ही कहा कि 50 प्रतिशत की सीमा से अधिक आरक्षण असंवैधानिक है. इस फैसले के बाद राज्य में जनजातियों के लिए आरक्षण 32 प्रतिशत से घटकर 20 प्रतिशत हो गया है. राज्य में लगभग 32 प्रतिशत जनसंख्या जनजातियों की है |

आरक्षण के लिए बुलाया गया था विशेष सत्र

आपको बता दें कि एक दिन पहले यानी एक दिसंबर को इस सत्र में राज्य सरकार आरक्षण से संबंधित दो विधेयकों को पेश किया. इसी सत्र में विधेयकों में अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए 32 फीसदी, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 27 फीसदी, अनुसूचित जाति (एससी) के लिए 13 फीसदी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 4 फीसदी आरक्षण का प्रावधान पेश किया गया था |

पूर्व मुख्यमंत्री पर आरक्षण को लेकर बरसे थे बघेल

वहीं,भानुप्रतापपुर विधानसभा क्षेत्र उपचुनाव के लिए पुरी गांव में एक सभा को छत्तीसगढ़ी में संबोधित करते हुए बघेल ने रमन सिंह के नेतृत्व वाली पूर्व बीजेपी सरकार पर आदिवासियों और किसानों को लूटने और धोखा देने का आरोप लगाया था. इस दौरान बघेल ने यह भी कहा था कि हमारी सरकार ने सभी वर्गों के कल्याण के लिए काम किया है. हमने आदिवासियों के हित में पेसा कानून के तहत नियम बनाए. 15 साल तक रमन सिंह सरकार ने ऐसा क्यों नहीं किया? आज ये आरक्षण को लेकर हंगामा कर रहे हैं. हम उनके पाप धो रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा था कि अगर उन्होंने इसे (आरक्षण नियम) ठीक से तैयार किया होता तो विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की कोई आवश्यकता नहीं होती |

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