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बनाइये इस साल को खुशियाँ बांटने का साल…

 

बनाइये इस साल को खुशियाँ बांटने का साल…


दोस्तों, at the core of everything, इंसान खुशियाँ ढूंढता है.
अधिक पैसे कमाना, आलिशान मकानों में रहना, महंगे मोबाइल carry करना…बड़ी-बड़ी गाड़ियों में घूमना…हर एक चीज में इंसान खुशियाँ ढूंढता है…पर unfortunately, इन सबके बावजूद वो खुश नहीं हो पाता!

जितना भी पैसा कमाता है…कुछ दिन में वो कम लगने लगता है… दूसरे का मकान, मोबाइल अपने से अच्छा लगने लगता है…थोड़ी पुरानी होने पर कार भी attractive नहीं रह जाती…और इस तरह से fundamentally वो वापस वही इंसान बन जाता है जो वो इन चीजों के बिना था… of course, physical level पर इन चीजों से उसकी life comfortable हो जाती है, पर internally वो satisfaction… वो ख़ुशी उसे नहीं मिल पाती जिसकी उसे consciously या sub-consciously तलाश होती है.

ऐसा क्यों होता है?
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शायद इसलिए क्योंकि भगवान ने हमें इस तरह से wired ही नहीं किया है!

जब भगवान ने इंसान बनाया तो उन्होंने लगभग हर एक इंसान को एक दूसरे से मिलता जुलता बनाया- externally भी और internally भी.

Externally यानी, ऊपर से देखने पर हमे सभी हाथ-पैर, मुंह-नाक वाले प्राणी दिखते हैं, और internally यानी, हम सब अन्दर से भी काफी मिलते-जुलते हैं…हम लगभग एक जैसी चीजों से खुश होते हैं… या दुखी हो जाते हैं…

ये ईश्वर की flawless engineering और design का ही तो परिणाम है कि-

जब हम किसी दृष्टिहीन व्यक्ति को सड़क पार कराते हैं तो हमें अन्दर से संतोष मिलता है…
जब हम किसी प्यासे को पानी पिलाते हैं तो हमें ख़ुशी का एहसास होता है…
जब हम किसी की बेवजह मदद करते हैं तो लगता है आज कुछ अच्छा  किया…
अगर भगवान ने intentionally ऐसा नहीं किया होता तो ये चीजें सभी के साथ नहीं होतीं.. Isn’t it?

एक लाइन में कहें तो भगवान ने हमें कुछ ऐसे hard-wired किया है कि-

हमें खुशियाँ बांटने में खुशियाँ मिलती हैं…
Must read: खुश रहने वाले लोगों की 7 आदतें  
कितना simple है ये… कितना सरल… हम सब जानते हैं इसे कई बार पढ़ा है…सुना है…महसूस किया है…

पर हमें तो चीजों को complex बनाने की आदत है…इतनी सीधी सी बात पर हम ध्यान ही नहीं देते… हम भूल जाते हैं कि हमारा self जिस ख़ुशी को महंगे शौकों में ढूँढ़ रहा है वो दरअसल “खुशियाँ बांटने” जैसी price less चीज में छिपी है.

Come on folks, it’s time to change… चलिए हम अपनी खुशियाँ उन चीजों में ढूंढते हैं जहाँ ईश्वर ने इन्हें छिपा कर रखा है-

औरों को खुशियाँ देने में… 
ये कैसे करेंगे?
लाखों तरीके हो सकते हैं.

कल सुबह जो एक तरीका मैंने अपनाया वो बताता हूँ.

मैंने फ़ोन उठाया और contact list देखने लगा… एक नाम दिखा, “Yogesh Habib”.
योगेश एक हेयर ड्रेसर हैं और उनसे पहली बार मुलाक़ात तब हुई थी जब इंदौर में मेरी वाइफ पद्मजा  “जावेद हबीब” में हेयर कट के लिए गयी थी…उससे ऐसी बॉन्डिंग हुई कि जब तक हम इंदौर में रहे तब तक हमारा मिलना-जुलना होता रहा…पर उसके बाद धीरे-धीरे contact ख़त्म हो गया और आज 3-4 साल बाद जब मैंने उन्हें कॉल किया…तो पता है…वो इतना खुश हुए… इतना खुश हुए कि मैं बता नहीं सकता…और ये भी बयान करना मुश्किल है कि उनकी ख़ुशी देखकर मुझे अन्दर से कितना अच्छा महसूस हुआ.

हम्म…खुशियाँ बांटने का सबसे बड़ा benefit तो यही है…ये आपको भी खुश कर देता है और इसीलिए-

कभी भी खुशियाँ बांट कर proud मत feel करिए कि आपने किसी पर कोई उपकार किया है…नहीं, आपने जो कुछ भी किया है अपने लिए ही किया है… इसलिए बस अपनी खुशियों के लिए खुशियाँ बांटते रहिये…

और जैसा कि मैंने कहा, खुशियाँ बांटने के लाखों तरीके हो सकते हैं, आप एक खोजेंगे दस मिल जायेंगे…

पुराने दोस्तों को फ़ोन करिए…
आस-पड़ोस के बच्चों को मूवी दिखाइये…
smile के साथ लोगों से मिलिए…
अपने client को exceptional service दीजिये…
अपने employees के साथ बैठ कर खाना खाइए…
किसी को बस यूँही गले लगाइए…
दूसरों को और खुद को क्षमा कीजिये…
आलमारी में पड़े unused गरम कपड़े किसी ज़रूरतमंद को दीजिये…
मम्मी-पापा को घुमाने ले जाइए…कोई surprise gift दीजिये…
पढ़ें: क्षमा करना क्यों है ज़रूरी?

बहुत कुछ ऐसा है जो आप कर सकते हैं और कुछ ना समझ में आये तो बस इतना कीजिये..

लोगों को दिल से like करिए, genuinely like करिए…आँखों में प्यार लाइए…जुबान में मिठास घोलिये…अपने अन्दर की कोमलता को society की कठोरता से दबने मत दीजिये…

खुशियाँ लुटाइए…खुशियाँ बटोरिये.

और बनाइये इस साल को खुशियाँ बांटने का साल…

Happy New Year

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